05-11-2014, 04:09 PM | #11 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" भारत में ताजिए के इतिहास और बादशाह तैमूर लंग का गहरा रिश्ता है। तैमूर बरला वंश का तुर्की योद्धा था और विश्व विजय उसका सपना था। सन्* 1336 को समरकंद के नजदीक केश गांव ट्रांस ऑक्सानिया (अब उज्बेकिस्तान) में जन्मे तैमूर को चंगेज खां के पुत्र चुगताई ने प्रशिक्षण दिया। सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही वह चुगताई तुर्कों का सरदार बन गया। फारस, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया और रूस के कुछ भागों को जीतते हुए तैमूर भारत (1398) पहुंचा। उसके साथ 98000 सैनिक भी भारत आए। दिल्ली में मेहमूद तुगलक से युद्ध कर अपना ठिकाना बनाया और यहीं उसने स्वयं को सम्राट घोषित किया। तैमूर लंग तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ तैमूर लंगड़ा होता है। वह दाएं हाथ और दाए पांव से पंगु था" :......... सौजन्य से :
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05-11-2014, 04:15 PM | #12 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" तैमूर लंग शीआ संप्रदाय से था और मुहर्रम माह में हर साल इराक जरूर जाता था, लेकिन बीमारी के कारण एक साल नहीं जा पाया। वह हृदय रोगी था, इसलिए हकीमों, वैद्यों ने उसे सफर के लिए मना किया था। बादशाह सलामत को खुश करने के लिए दरबारियों ने ऐसा करना चाहा, जिससे तैमूर खुश हो जाए। उस जमाने के कलाकारों को इकट्ठा कर उन्हें इराक के कर्बला में बने इमाम हुसैन के रोजे (कब्र) की प्रतिकृति बनाने का आदेश दिया" :......... सौजन्य से :
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07-11-2014, 10:06 AM | #13 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
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07-11-2014, 08:39 PM | #14 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारियाँ दी गयी हैं. भारत में ताजियों की शुरुआत के बारे में सूत्र में बिल्कुल अनोखी जानकारी प्रस्तुत की गयी है.
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13-11-2014, 05:52 PM | #15 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
आपने सही कहा,इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारी दी है ,ताजिये के इतिहास के बारे मै भी नहीं जानता था,सूत्र के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र !
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17-11-2014, 09:43 PM | #16 | ||
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
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प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आप दोनों मित्रों का हार्दिक आभार.........
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17-11-2014, 09:45 PM | #17 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" कुछ कलाकारों ने बांस की किमचियों की मदद से 'कब्र' या इमाम हुसैन की यादगार का ढांचा तैयार किया। इसे तरह-तरह के फूलों से सजाया गया। इसी को ताजिया नाम दिया गया। इस ताजिए को पहली बार 801 हिजरी में तैमूर लंग के महल परिसर में रखा गया" :......... सौजन्य से :
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17-11-2014, 09:47 PM | #18 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" तैमूर के ताजिए की धूम बहुत जल्द पूरे देश में मच गई। देशभर से राजे-रजवाड़े और श्रद्धालु जनता इन ताजियों की जियारत (दर्शन) के लिए पहुंचने लगे। तैमूर लंग को खुश करने के लिए देश की अन्य रियासतों में भी इस परंपरा की सख्ती के साथ शुरुआत हो गई" :......... सौजन्य से :
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17-11-2014, 09:48 PM | #19 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" खासतौर पर दिल्ली के आसपास के जो शीआ संप्रदाय के नवाब थे, उन्होंने तुरंत इस परंपरा पर अमल शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक इस अनूठी परंपरा को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा (म्यांमार) में मनाया जा रहा है। जबकि खुद तैमूर लंग के देश उज्बेकिस्तान या कजाकिस्तान में या शीआ बहुल देश ईरान में ताजियों की परंपरा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है" :......... सौजन्य से :
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17-11-2014, 09:49 PM | #20 |
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Re: क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !" "तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा" 68 वर्षीय तैमूर अपनी शुरू की गई ताजियों की परंपरा को ज्यादा देख नहीं पाया और गंभीर बीमारी में मुब्तिला होने के कारण 1404 में समरकंद लौट गया। बीमारी के बावजूद उसने चीन अभियान की तैयारियां शुरू कीं, लेकिन 19 फरवरी 1405 को ओटरार चिमकेंट के पास (अब शिमकेंट, कजाकिस्तान) में तैमूर का इंतकाल (निधन) हो गया। लेकिन तैमूर के जाने के बाद भी भारत में यह परंपरा जारी रही। तुगलक-तैमूर वंश के बाद मुगलों ने भी इस परंपरा को जारी रखा। मुगल बादशाह हुमायूं ने सन्* नौ हिजरी 962 में बैरम खां से 46 तौला के जमुर्रद (पन्ना/ हरित मणि) का बना ताजिया मंगवाया था" :......... सौजन्य से :
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