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02-01-2011, 06:13 AM | #1 |
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हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
दोस्तों,
इस थ्रेड में मैं हिंदी फिल्मो के प्रसिद्ध नए पुराने अभिनेत्रियों के बारे में बात करुँगी और उनकी ज़िन्दगी से जुडी कुछ दिलचस्ब बातें बताऊंगी. थैंक्स
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02-01-2011, 06:22 AM | #2 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
तो सुरुआत किजीए ......?
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
02-01-2011, 01:03 PM | #3 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
देविका रानी देविका रानी हिन्दी फ़िल्मों की पहली प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, इनका भारतीय सिनेमा के लिये योगदान अपूर्व रहा है और यह हमेशा हमेशा याद रखा जायेगा| जिस जमाने में भारत की महिलायें घर की चारदीवारी के भीतर भी घूंघट में मुँह छुपाये रहती थीं, देविका रानी ने चलचित्रों में काम करके अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था| उन्हें उनके अद्वितीय सुंदरता के लिये भी याद किया जाता रहेगा| |
02-01-2011, 01:05 PM | #4 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
देविका रानी, भारतीय रजतपट की पहली नायिका, का जन्म वाल्टेयर (विशाखापत्तनम) में हुआ था| वे विख्यात कवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर के वंश से सम्बंधित थीं, श्री टैगोर उनके चचेरे परदादा थे| देविका रानी के पिता कर्नल एम.एन. चौधरी मद्रास (अब चेन्नई) के पहले 'सर्जन जनरल' थे| उनकी माता का नाम श्रीमती लीला चौधरी था| |
02-01-2011, 01:06 PM | #5 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
स्कूल की शिक्षा समाप्त करने के बाद 1920 के दशक के आरंभिक वर्षों में देविका रानी नाट्य शिक्षा ग्रहण करने के लिये लंदन चली गईं और वहाँ वे 'रॉयल एकेडमी आफ ड्रामेटिक आर्ट' (RADA) और रॉयल 'एकेडमी आफ म्युजिक' नामक संस्थाओं में भर्ती हो गईं| वहाँ उन्हें 'स्कालरशिप' भी प्रदान किया गया| उन्होंने 'आर्किटेक्चर', 'टेक्सटाइल' एवं 'डेकोर डिजाइन' विधाओं का भी अध्ययन किया और 'एलिजाबेथ आर्डन' में काम करने लगीं|
अध्ययन काल के मध्य देविका रानी की मुलाकात हिमांशु राय से हुई| हिमांशु राय ने देविका रानी को लाइट आफ एशिया नामक अपने पहले प्रोडक्शन के लिया सेट डिजाइनर बना लिया| सन् 1929 में उन दोनों ने विवाह कर लिया| विवाह के बाद हिमांशु राय को जर्मनी के प्रख्यात यू.एफ.ए. स्टुडिओ में 'ए थ्रो आफ डाइस' नामक फिल्म बनाने के लिये निर्माता का काम मिल गया और वे सपत्नीक जर्मनी आ गये| |
02-01-2011, 01:07 PM | #6 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
भारत में भी उन दिनों चलचित्र निर्माण का विकास होने लग गया था अतः हिमांशु राय अपने देश में फिल्म बनाने का विचार करने लगे और वे देविका रानी के साथ स्वदेश वापस आ गये| भारत आकर उन्होंने फिल्में बनाना शुरू कर दिया और उनकी फिल्मों में देविका रानी नायिका का काम करने लगीं| सन् 1933 में उनकी फिल्म कर्मा प्रदर्शित हुई और इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग देविका रानी को कलाकार के स्थान पर स्टार सितारा कहने लगे|
इस तरह देविका रानी भारतीय सिनेमा की पहली महिला फिल्म स्टार बनीं| देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय ने मिलकर बांबे टाकीज़ स्टुडिओ की स्थापना की जो कि भारत के प्रथम फिल्म स्टुडिओं में से एक है| बांबे टाकीज़ को जर्मनी से मंगाये गये उस समय के अत्याधुनिक उकरणों से सुसज्जित किया गया| अशोक कुमार, दिलीप कुमार, मधुबाला जैसे महान कलाकारों ने बांबे टाकीज़ में काम कर चुके है। अछूत कन्या, किस्मत, शहीद, मेला जैसे अत्यंत लोकप्रिय फिल्मों का निर्माण वहाँ पर हुआ है| अछूत कन्या उनकी बहुचर्चित फिल्म रही है क्योंकि वह फिल्म एक अछूत कन्या और एक ब्राह्मण युवा के प्रेम प्रसंग पर आधारित थी| |
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