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Old 28-12-2010, 12:09 PM   #1
Hamsafar+
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Default न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

यूं तो न्यूज़ीलैंड कुल 40 लाख की आबादी वाला छोटा सा देश है, फिर भी हिंदी के मानचित्र पर अपनी पहचान रखता है। पंजाब और गुजरात के भारतीय न्यूज़ीलैंड में बहुत पहले से बसे हुए हैं किन्तु 1990 के आसपास बहुत से लोग मुम्बई, देहली, आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा इत्यादि राज्यों से आकर यहां बस गए। फिजी से भी बहुत से भारतीय राजनैतिक तख्ता-पलट के दौरान यहां आ बसे। न्यूज़ीलैंड में फिजी भारतीयों की अनेक रामायण मंडलियां सक्रिय हैं। यह कहना उपयुक्त होगा कि भारत से सीधे आये भारतीयों की अपेक्षा फिजी मूल के भारतीयों का हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति के प्रति झुकाव अधिक है। यद्यपि फिजी मूल के भारतवंशी मूल रुप से हिंदी न बोल कर हिंदुस्तानी बोलते हैं तथापि यथासंभव हिंदी का ही उपयोग करते हैं। उल्लेखनीय है कि फिजी में गुजराती, मलयाली, तमिल, बांग्ला, पंजाबी और हिंदी भाषी सभी भारतवंशी लोग हिंदी के माध्यम से ही जुडे़ हुए हैं।

फिजी में रामायण ने गिरमिटिया लोगों के संघर्ष के दिनों में हिंदी और भारतीय संस्कृति को बचाए रखने में महान भूमिका निभाई है। इसीलिए ये लोग तुलसीदास को श्रद्धा से स्मरण करते हैं। तुलसी कृत रामायण यहां के भारतवंशियों के लिए सबसे प्रेरक ग्रंथ है। जन्म-मरण, तीज-त्योहार सब में रामायण की अहम् भूमिका रहती है। फिजी के मूल निवासी भी भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं। भारतीय त्योहारों में फिजी के मूल निवासी भी भारतीयों के साथ मिलकर इनमें भाग लेते हैं। बहुत से मूल निवासी अपनी काईबीती भाषा के साथ-साथ हिंदी भी समझते और बोलते हैं। न्यूज़ीलैंड में बसे फिजी मूल के भारतवंशी यहां भी अपनी भाषा व संस्कृति से जुड़े हुए हैं।
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Old 28-12-2010, 12:13 PM   #2
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

आज न्यूज़ीलैंड में हिंदी पत्र-पत्रिका के अतिरिक्त हिंदी रेडियो और टी वी भी है जिनमें रेडियो तराना और अपना एफ एम अग्रणी हैं। हिंदी रेडियो और टी वी अधिकतर मनोरंजन के क्षेत्र तक ही सीमित है किंतु मनोरंजन के इन माध्यमों को आवश्यकतानुसार हिंदी अध्यापन का एक सशक्त माध्यम बनाया जा सकता है। न्यूज़ीलैंड में हर सप्ताह कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है। हर सप्ताह हिंदी फिल्में प्रदर्शित होती हैं। 1998 में भारत-दर्शन द्वारा आयोजित दिवाली आज न्यूज़ीलैंड की संसद में मनाई जाती है और इसके अतिरिक्त ऑकलैंड व वेलिंग्टन में सार्वजनिक रुप से स्थानीय-सरकारों द्वारा दीवाली मेले आयोजित किए जाते हैं।

औपचारिक रुप से हिन्दी शिक्षण की कोई विशेष व्यवस्था न्यूज़ीलैंड में नहीं है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ऑकलैंड विश्विद्यालय में ‘आरम्भिक व मध्यम’ स्तर की हिन्दी ‘कन्टीन्यु एडि्युकेशन के अंतर्गत पढ़ाई जा रही है। पिछले 12 वर्षों से वेलिंग्टन हिंदी स्कूल में भी आंशिक रुप से हिंदी पढ़ाई जा रही है। हिन्दी पठन-पाठन का स्तर व माध्यम अव्यवसायिक और स्वैच्छिक रहा है।
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Old 28-12-2010, 12:18 PM   #3
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

Bahut hi shaandaar.......
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Old 28-12-2010, 12:23 PM   #4
ABHAY
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Post Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

अति उतम क्या बात है भाई
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Old 28-12-2010, 12:29 PM   #5
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

ऑकलैंड का भारतीय हिंदू मंदिर भी पिछले कुछ वर्षों से आरम्भिक हिंदी शिक्षण उपलब्ध करवाने में सेवारत है। कुछ अन्य संस्थाएं भी अपने तौर पर हिंदी सेवा में लगी हुई हैं। हिंदी के इस अध्ययन-अध्यापन का कोई स्तरीय मानक नहीं है। स्वैच्छिक हिंदी अध्यापन में जुटे हुए भारतीय मूल के लोगों में व्यवसायिक स्तर के शिक्षकों का अधिकतर अभाव रहा है।
पिछले एक-दो वर्षों से काफी गैर-भारतीय भी हिंदी में रुचि दिखाने लगे हैं। विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम को स्तरीय व रोचक बनाने की आवश्यकता है।

विदेशों में हिन्दी पढ़ाने हेतु उच्च-स्तरीय कक्षाओं के लिए अच्छे पाठ विकसित करने की आवश्यकता है। यह पाठ स्थानीय परिवेश में, स्थानीय रुचि वाले होने चाहिए। हिंदी में संसाधनों का अभाव हिन्दी जगत के लिए विचारणीय बात है!

अच्छे स्तरीय पाठ तैयार करना, सृजनात्मक/रचनात्मक अध्यापन प्रणालियां विकसित करना, पठन-पाठन की नई पद्धतियां और पढ़ाने के नए वैज्ञानिक तरीके खोजना जैसी बातें विदेशों में हिन्दी के विकास के लिए एक चुनौती है।
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Old 28-12-2010, 12:29 PM   #6
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

भारत की पाठ्य-पुस्तकों को विदेशों के हिंदी अध्यापक अपर्याप्त महसूस करते हैं क्योंकि पाठ्य-पुस्तकों में स्थानीय जीवन से संबंधित सामग्री का अभाव अखरता है। विदेशों में हिंदी अध्यापन का बीड़ा उठाने वाले लोगों को भारत में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए जाने जैसी सक्षम योजनाओं का भी अभाव है। स्थानीय विश्वविद्यालयों के साथ भी सहयोग की आवश्यकता है। इस दिशा में भारतीय उच्चायोग एवं भारतीय विदेश मंत्रालय विशेष भूमिका निभा सकते हैं। जिस प्रकार ब्रिटिश काउंसिल अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, उसी तरह हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए क़दम उठाए जा सकते हैं।
विदेशों में सक्रिय भारतीय मीडिया भी इस संदर्भ में बी बी सी व वॉयस ऑव अमेरिका से सीख लेकर, उन्हीं की तरह हिंदी के पाठ विकसित करके उन्हें अपनी वेब साइट व प्रसारण में जोड़ सकता है। बी बी सी और वॉयस ऑव अमेरिका अंग्रेजी के पाठ अपनी वेब साइट पर उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त इनका प्रसारण भी करते हैं। इसके साथ ही सभी हिंदी विद्वान/विदुषियों, शिक्षक-प्रशिक्षकों को चाहिए कि वे आगे आयें और हिंदी के लिए काम करने वालों की केवल आलोचना करके या त्रुटियां निकालकर ही अपनी भूमिका पूर्ण न समझें बल्कि हिंदी प्रचार में काम करने वालों को अपना सकारात्मक योगदान भी दें। हिंदी को केवल भाषणबाज और नारेबाज़ी की नहीं सिपाहियों की आवश्यकता है।
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Old 15-02-2012, 10:22 AM   #7
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

महोदय,

'न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन' आलेख के कुछ अंश देख कर प्रसन्नता हुई लेकिन आपने तो लेखक का नाम व आलेख स्रोत दोनों ही गुम कर दिए। आलेख पर बहुत परिश्रम किया जाता है और आप उसका श्रेय क्योकर लेखक को देना भूल जाते हैं? जब आप यह लेख कॉपी पेस्ट कर सकते हैं तो लेखक का नाम व पत्रिका का नाम पेस्ट करने में कितना और अधिक परिश्रम करना पड़ता है?

हम नि:संदेह चाहते हैं कि हिंदी का प्रचार हो और आप बाकायदा हमारी सामग्री उपयोग कर सकते हैं किंतु मैं समझता हूँ आप यह भली-भांति जानते हैं कि लेखक और मूल स्रोत आपको प्रकाशित करना ही होता है। कृपया स्रोत व लेखक का नाम प्रकाशित करें - ऐसा न करना कॉपी राइट का उलंघन है व नैतिक आधार पर भी यह मान्य नहीं।


पूर्ण लेख यहाँ है:
http://www.bharatdarshan.co.nz/hindi/index.php?page=hindi-in-newzealand


आभार,

रोहित कुमार ‘हैप्पी’
संपादक, भारत-दर्शन
2/156, Universal Drive
Henderson, Waitakere
Auckland, New Zealand
Ph: 0064 9 8377052
Fax: 0064 9 837 8532
E-mail: editor@bharatdarshan.co.nz

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Old 15-02-2012, 10:28 AM   #8
bharatdarshan
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Default Re: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

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Originally Posted by soni View Post
Bahut hi shaandaar.......
आपका आभार पर यह आलेख हमारी पत्रिका से लिया गया या कहूँ उड़ाया गया है और यह मेरा लिखा हुआ लेख है जिसमें पत्रकार को परिश्रम करना पड़ता है और लोग एक मिनट में इसे बिना स्वीकृति व श्रेय के प्रकाशित कर देते हैं। मुझे देखकर बहुत खेद हुआ।

पूर्ण आलेख यहाँ है:
http://www.bharatdarshan.co.nz/hindi/index.php?page=hindi-in-newzealand

रोहित कुमार ‘हैप्पी’
संपादक, भारत-दर्शन
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Auckland, New Zealand
Ph: 0064 9 8377052
Fax: 0064 9 837 8532
E-mail: editor@bharatdarshan.co.nz
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