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#1 |
Diligent Member
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![]() ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ दिखता तो है मोम मगर वह धोखा केवल देता है ऑक्सीजन भी डर जाता जब लम्बी साँसे लेता है प्राण वायु पीता है लेकिन ज़हर उगलता है इतना पत्ते भी मुरझा जाते हैं सहन करे कोई कितना जिसको खुद से ज्यादा माना यार वही तो झूठा है सच सन्मुख आया है जबसे देखो कैसे रूठा है चिकनी-चुपड़ी बातों में तुम भाई उसके मत आना मौका पाकर खा जाएगा तेरे मुँह का भी दाना रचना- आकाश महेशपुरी ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 |
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#2 | |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
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धन्यवाद, आकाश जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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#3 |
Diligent Member
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