16-05-2019, 02:31 PM | #1 |
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घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
★★★★★★★★★★★★★★ स्वयं पे ही सभी रहते हैं वशीभूत अब, कोई भी किसी का नहीं सुनता जहान में। भूख और प्यास लिये मरते मनुष्य पर, लोग तो यकीन अब रखते हैं श्वान में। श्वान को खिलाया नहलाया व घुमाया जाता, कभी सड़कों पे कभी कार में बागान में। किन्तु कई लाख बच्चे हो के फटेहाल हाय, जूठन गिलास धोते चाय की दुकान में। रचना- आकाश महेशपुरी ★★★★★★★★★★★★★★ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाइल- 9919080399 |
22-05-2019, 07:52 AM | #2 |
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Re: घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
बहुत सुंदर. हमारी सामाजिक व्यवस्था की पोल खोलने वाली रचना. गरीब और कुपोषित बच्चों की दुर्दशा की ओर पाठक का ध्यान खींचा गया है. धन्यवाद, मित्र.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
26-05-2019, 04:29 PM | #3 |
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Re: घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
Nice Bhai
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29-05-2019, 09:14 PM | #4 |
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Re: घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
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29-05-2019, 09:15 PM | #5 |
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Re: घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
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01-06-2019, 10:16 AM | #6 |
Diligent Member
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Re: घनाक्षरी छंद ~ फटेहाल बच्चे
टंकण त्रुटि सुधार~
रचना की दूसरी पंक्ति कृपया इस प्रकार पढ़ें... "कोई भी किसी की नहीं सुनता जहां में" |
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