10-07-2019, 07:14 PM | #1 |
Diligent Member
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मुक्तक- उनकी बदौलत ही...
■■■■■■■■■■■■■■■■■ कहीं मैं दूर जाऊँ तो मुझे वो घर बुलातीं हैं, रहूँ घर पे जो मैं दिन-रात बस पत्थर बुलातीं हैं, मगर उनकी बदौलत ही कलम चलती है यह मेरी, मैं लिखना भूल जाऊँ तो मुझे कविवर बुलातीं हैं। मुक्तक- आकाश महेशपुरी दिनांक- 10/07/2019 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 |
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