03-08-2013, 06:31 PM | #1 |
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गीत - ग़म से
. . . . . . . . . . सभी कह रहे हैँ मुझे एक दम से कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से दिल सोचता है कि क्या हो रहा है मैँ रो रहा और जग सो रहा है नहीँ सुख मिला है मुझे तो जनम से- कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से... ठोकर लगे रोज फिर होश क्योँ है मुझ मेँ न जाने यही दोष क्योँ है बढ़ी उलझने हैँ बढ़े हर कदम से- कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से... धोखा मिले प्यार मेँ आजकल है ग़म है बहुत ना हँसी एक पल है नहीँ बात कोई करे आँख नम से- कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से... गीत - आकाश महेशपुरी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम महेशपुर पोस्ट - कुबेरस्थान जनपद - कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . मात्रा भार- मुखड़ा- 122 122 122 122 पूरक पक्ति- 122 122 122 122 अन्तरा- 221 221 221 22 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . |
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