My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > Debates
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Closed Thread
 
Thread Tools Display Modes
Old 21-12-2010, 06:58 PM   #91
VIDROHI NAYAK
Diligent Member
 
VIDROHI NAYAK's Avatar
 
Join Date: Dec 2010
Location: भारत
Posts: 820
Rep Power: 19
VIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of light
Send a message via Yahoo to VIDROHI NAYAK
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

अरविन्द जी...प्रथम तो अगर शराब किसी न किसी रूप से आनंद न देती या ये कहो ये मानसिक स्वतंत्रता न देती तो इतने शराबी न होते !
और ये मानसिक स्वतंत्रता और ये आनंद क्या मनोरंजन नहीं ? शायद आप न पीते हों परन्तु जो पीते उनके लिए तो ये आनंद की ही बात है न ! अब यह तो अलग बात हुई की कौन अपनी स्वतंत्रता का कैसा उपयोग करता है ! अक्सर देखा जाता है की मनुष्य का आतंरिक स्वाभाव नशे में बहार आता है और उसकी प्रवत्तिया उसके आचरण के बारे में दर्शाती हैं ! हमने अक्सर यह भी देखा है की सारे शराबी नशे के बाद बहकते नहीं ...सारे अभद्रता नहीं करते !
जहाँ तक व्यक्तिगत खुशी का सवाल है तो मनुष्य जीना चाहता है और जीने के लिए उसे किसी न किसी चीज़ से आसक्त तो रहना ही पड़ता है ! विरक्ति तो उससे निर्वाण की और ले जायेगी या ये कहो की वह मोक्ष को प्राप्त हो जायेगा और एक गरीब इंसान के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है ! जिस ठण्ड को हम हवाला देकर अपनी राज़ईओ में दुबके रहते हैं उसी ठण्ड में कोई कम वस्त्रों में शारीरिक परिश्रम कर रहा होता है ...
मुझे एक प्रसंग याद आता है ...स्वामी रामकृष्ण परमहंस का ! कहा जाता है की स्वामी जी को विशेष वस्तु से लगाव नहीं था परन्तु स्वादिष्ट भोजनो के प्रति वो बहुत आसक्त रहते थे ! उनके शिष्य इस बात से बहुत आहात थे और प्रायः इस बात का विरोध करते थे ! उनका मानना था की स्वामी जी इस बात से अपनी छवि धूमिल करते हैं ! आखिर हार मानकर उन्होंने इस बात की शिकायत स्वामी जी की पत्नी से की ! उनकी पत्नी के पूछने स्वामी जी ने स्पष्टीकरण दिया ! उनका कह्नना था की जब मैंने सब कुछ त्याग ही दिया है तो मेरे जीवन का क्या महत्व? तब कैसा जीवन? इस जीवन को बचाने के लिए ही मुझे किसी न किसी एक वस्तु यानी भोजन से आसक्त रहना ही पड़ता है ! जिस दिन मै खाने से मुह मोड लूं समझ लेना मेरा वक्त नजदीक आ गया है ! और वास्तव में ऐसा हुआ भी ! उनके भोजन छोड़ने के ३ दिन के उपरान्त ही उनकी म्रत्यु हो गई या ये कहिये की वो निर्वाण को प्राप्त हो गए !
अरविन्द जी यह उदाहरण मात्र यही बताने के लिए है की जीवन के लिए आसक्ति कितनी ज़रुरी है ! और एक गरीब इंसान के लिए छोटी छोटी खुशिया ही आसक्ति का कारन बनती है !
अरविन्द जी यहाँ एक मछली ही नहीं गन्दी है वरन एक ही साफ़ है !अब ऐसे में क्या आप सारी मछलियो को मारने की बात करते हैं? या आप कुछ ऐसा उपाए करना चाहेंगे की मछलियो की नस्ल ही साफ़ हो जाए ! अब चोरिये मछलियो के बारे में ...इन मनुष्यों का क्या? क्या सभी को नष्ट कर देंगे या उनका विचार बदलना चाहेंगे ?
अरविन्द जी इस चक्रवात में कहाँ से शुरुवात की जाए यही समझना है हमें !
और यह शुरुवात किसी एक खराब मछली को निकालने से ही नहीं होगी !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

VIDROHI NAYAK is offline  
Old 21-12-2010, 07:05 PM   #92
prashant
Diligent Member
 
prashant's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 17
prashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the rough
Smile Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

हम्मम्मम अब जोड़दार बहस हो रहा है............अब लगता है की कोई निष्कर्ष निकल कर ही रहेगा.
मैं थोडा लेट हो गया.मैं कब से कहना चाहता हूँ की की इस फोरम पर सभी सदस्य वयस्क है.सब को अपना सही गलत सोचने की समझ सकती है.अब प्रवचन देने से कोई लाभ नहीं है.मेरे हिसाब से सभी अपने अपने तर्क पर सही हैं.हर विषय के सही और गलत पासे होते हैं.
prashant is offline  
Old 21-12-2010, 09:45 PM   #93
Prince
Member
 
Prince's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Posts: 26
Rep Power: 0
Prince is an unknown quantity at this point
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by arvind View Post
भाई छोटु जी, यहा पर बहुत सारे सदस्य एक-दूसरे से मिल चुके है और फोन से भी संपर्क मे रहते है, और तो और, इस फोरम पर मिलकर विभिन्न विषयो पर अपने विचार भी शेयर करते है। बहुत सदस्य तो इसी फोरम के माध्यम से अच्छे मित्र भी बन चुके है। फिर आप कैसे कह सकते है की एक-दूसरे को जानते तक नहीं। और रही बात एक-दूसरे को बेवजह दोषी ठहराने की तो अगर गलत बात को कोई गलत कहता है तो क्या यह आपके नजर मे गलत है? पहले किसी भी फोरम को अच्छी तरह से समझने की कोशिश कीजिये, फिर सबंधित सूत्र मे सबंधित चर्चा कीजिये। अब जैसे ये सूत्र है - "एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन", और आप यहा विवाह की परिभाषा पूछ रहे है। क्या इस तरह से सूत्र अपने चर्चा के विषय से भटक नहीं जाएगा? आप इसके लिए सबंधित सूत्र मे जाकर इस प्रश्न को पूछ सकते है, और अगर सबंधित सूत्र नहीं है तो संबन्धित विभाग मे जाकर नया सूत्र बना सकते है।
अरविन्द जी. आपने कितनी आसानी से छोटू जी को कह दिया कि विवाह की परिभाषा सूत्र के विषय से हट कर हो जायेगी. मैं पूरा थ्रेड रीड किया है और देखा है कि किसी और सदस्य ने आपके लिए कोई व्यक्तिगत नोट भेजा था जिसका इस थ्रेड से कोई वास्ता नहीं था. ये व्यक्तिगत नोट एक निजी सन्देश की तरह भी भेजा जा सकता था. उनको तो कोई जवाब नहीं दिया आपने ??? क्या पता छोटू जी की बात का इस थ्रेड से कोई ताल्लुक हो ?? अगर बुरा लगे तो माफ़ कर दीजिये. जो लगा बता दिया.

Last edited by Prince; 21-12-2010 at 10:52 PM.
Prince is offline  
Old 21-12-2010, 09:48 PM   #94
Prince
Member
 
Prince's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Posts: 26
Rep Power: 0
Prince is an unknown quantity at this point
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by prashant View Post
हम्मम्मम अब जोड़दार बहस हो रहा है............अब लगता है की कोई निष्कर्ष निकल कर ही रहेगा.
मैं थोडा लेट हो गया.मैं कब से कहना चाहता हूँ की की इस फोरम पर सभी सदस्य वयस्क है.सब को अपना सही गलत सोचने की समझ सकती है.अब प्रवचन देने से कोई लाभ नहीं है.मेरे हिसाब से सभी अपने अपने तर्क पर सही हैं.हर विषय के सही और गलत पासे होते हैं.
बहुत सही बात कही है दोस्त. सभी विचार काफी मजबूत और सही लगते हैं. किसी को भी गलत नहीं कहा जा सकता.
Prince is offline  
Old 21-12-2010, 10:10 PM   #95
VIDROHI NAYAK
Diligent Member
 
VIDROHI NAYAK's Avatar
 
Join Date: Dec 2010
Location: भारत
Posts: 820
Rep Power: 19
VIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of light
Send a message via Yahoo to VIDROHI NAYAK
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by chhotu View Post

चलिए कौन बता सकते हैं कि विवाह की परिभाषा क्या है ? ध्यान रहे यहाँ इन्द्रिय सुख की बात नहीं हो i परिभाषा छोटी और अपने में पूरी हो i
मित्र छोटू मेरे हिसाब से विवाह एक सम्पूर्णता है...बस एक सम्पूर्णता ...शारीरिक और आत्मिक ! अर्ध को पूर्ण करने का प्रयास ! और पूर्ण से फिर अर्ध को ज़न्म देने का प्रयास ! एक सामाजिक व्यस्था !
विवाह मात्र शारीरिक ही नहीं आत्मिक मिलन भी है और यही आत्मिक मिलन सम्पूर्णता का अंतिम चरण है !
कुल मिलाकर कम शब्दों में कहा जा सकता है की यह एक सामाजिक व्यस्था है जो संसार और मनुष्य के पूरण हेतु अति आवश्यक है !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

VIDROHI NAYAK is offline  
Old 21-12-2010, 10:10 PM   #96
ndhebar
Special Member
 
ndhebar's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Kerrville, Texas
Posts: 4,605
Rep Power: 49
ndhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to ndhebar
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

विद्रोही जी मैं आपकी सारी नहीं पर तक़रीबन बातों से सहमत हूँ
असहमति सिर्फ इस बात पर है

"यहाँ एक मछली ही नहीं गन्दी है वरन एक ही साफ़ है !अब ऐसे में क्या आप सारी मछलियो को मारने की बात करते हैं? या आप कुछ ऐसा उपाए करना चाहेंगे की मछलियो की नस्ल ही साफ़ हो जाए ! अब छोरिये मछलियो के बारे में ...इन मनुष्यों का क्या? क्या सभी को नष्ट कर देंगे या उनका विचार बदलना चाहेंगे ?"

पर अगर आपकी नजर में सारे लोग ही गंदे हो चुके हैं तो बहस किस बात पर
अंत में आपका हस्ताक्षर
( वैचारिक मतभेद संभव है )
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
ndhebar is offline  
Old 21-12-2010, 10:18 PM   #97
VIDROHI NAYAK
Diligent Member
 
VIDROHI NAYAK's Avatar
 
Join Date: Dec 2010
Location: भारत
Posts: 820
Rep Power: 19
VIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of lightVIDROHI NAYAK is a glorious beacon of light
Send a message via Yahoo to VIDROHI NAYAK
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by ndhebar View Post
विद्रोही जी मैं आपकी सारी नहीं पर तक़रीबन बातों से सहमत हूँ
असहमति सिर्फ इस बात पर है

"यहाँ एक मछली ही नहीं गन्दी है वरन एक ही साफ़ है !अब ऐसे में क्या आप सारी मछलियो को मारने की बात करते हैं? या आप कुछ ऐसा उपाए करना चाहेंगे की मछलियो की नस्ल ही साफ़ हो जाए ! अब छोरिये मछलियो के बारे में ...इन मनुष्यों का क्या? क्या सभी को नष्ट कर देंगे या उनका विचार बदलना चाहेंगे ?"

पर अगर आपकी नजर में सारे लोग ही गंदे हो चुके हैं तो बहस किस बात पर
अंत में आपका हस्ताक्षर
( वैचारिक मतभेद संभव है )
मित्र शायद मै कुछ ज्यादा मछलियो को गन्दी कह गया ....उसके लिए माफ़ी चाहूँगा ! पर खराब का प्रतिशत अच्छे से ज्यादा है और इस बात से आप भी सहमति होंगे !दूसरी बात मेरी नज़र में कोई गन्दा नहीं है ...बस हम उस मजबूरी को नज़रंदाज़ कर देते हैं जो उसे बुरा बनाता है ! कोई भी ज़न्म से ही बुरा नहीं होता और इसी वज़ह से किसी को भी बुरा नहीं कहता !मुझे उससे ज्यादा उसकी मजबूरी बुरी लगती है ! बस यहाँ तो मै अरविन्द जी को कुछ चक्रवात के विषय में समझाने का प्रयास कर रहा था !
धन्यवाद !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

VIDROHI NAYAK is offline  
Old 22-12-2010, 07:17 AM   #98
YUVRAJ
Special Member
 
YUVRAJ's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: ♕★ ★ ★ ★ ★♕
Posts: 2,316
Rep Power: 27
YUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud of
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

............

Quote:
Originally Posted by prashant View Post
हम्मम्मम अब जोड़दार बहस हो रहा है............अब लगता है की कोई निष्कर्ष निकल कर ही रहेगा.
मैं थोडा लेट हो गया.मैं कब से कहना चाहता हूँ की की इस फोरम पर सभी सदस्य वयस्क है.सब को अपना सही गलत सोचने की समझ सकती है.अब प्रवचन देने से कोई लाभ नहीं है.मेरे हिसाब से सभी अपने अपने तर्क पर सही हैं.हर विषय के सही और गलत पासे होते हैं.

Quote:
Originally Posted by Prince View Post
बहुत सही बात कही है दोस्त. सभी विचार काफी मजबूत और सही लगते हैं. किसी को भी गलत नहीं कहा जा सकता.
यार आपने तो विवाह को क्षेत्रवाद में बाँध दिया ... सारी दुनियाँ इसे इस नजर से नहीं देखती/
Quote:
Originally Posted by vidrohi nayak View Post
मित्र छोटू मेरे हिसाब से विवाह एक सम्पूर्णता है...बस एक सम्पूर्णता ...शारीरिक और आत्मिक ! अर्ध को पूर्ण करने का प्रयास ! और पूर्ण से फिर अर्ध को ज़न्म देने का प्रयास ! एक सामाजिक व्यस्था !
विवाह मात्र शारीरिक ही नहीं आत्मिक मिलन भी है और यही आत्मिक मिलन सम्पूर्णता का अंतिम चरण है !
कुल मिलाकर कम शब्दों में कहा जा सकता है की यह एक सामाजिक व्यस्था है जो संसार और मनुष्य के पूरण हेतु अति आवश्यक है !
जनाब आप किसी के हस्ताक्षर से परेशान क्यू होने लगे ???
Quote:
Originally Posted by ndhebar View Post
विद्रोही जी मैं आपकी सारी नहीं पर तक़रीबन बातों से सहमत हूँ
असहमति सिर्फ इस बात पर है

"यहाँ एक मछली ही नहीं गन्दी है वरन एक ही साफ़ है !अब ऐसे में क्या आप सारी मछलियो को मारने की बात करते हैं? या आप कुछ ऐसा उपाए करना चाहेंगे की मछलियो की नस्ल ही साफ़ हो जाए ! अब छोरिये मछलियो के बारे में ...इन मनुष्यों का क्या? क्या सभी को नष्ट कर देंगे या उनका विचार बदलना चाहेंगे ?"

पर अगर आपकी नजर में सारे लोग ही गंदे हो चुके हैं तो बहस किस बात पर
अंत में आपका हस्ताक्षर
( वैचारिक मतभेद संभव है )
YUVRAJ is offline  
Old 22-12-2010, 09:30 AM   #99
arvind
Banned
 
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0
arvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant future
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by vidrohi nayak View Post
अरविन्द जी...प्रथम तो अगर शराब किसी न किसी रूप से आनंद न देती या ये कहो ये मानसिक स्वतंत्रता न देती तो इतने शराबी न होते !
और ये मानसिक स्वतंत्रता और ये आनंद क्या मनोरंजन नहीं ? शायद आप न पीते हों परन्तु जो पीते उनके लिए तो ये आनंद की ही बात है न ! अब यह तो अलग बात हुई की कौन अपनी स्वतंत्रता का कैसा उपयोग करता है ! अक्सर देखा जाता है की मनुष्य का आतंरिक स्वाभाव नशे में बहार आता है और उसकी प्रवत्तिया उसके आचरण के बारे में दर्शाती हैं ! हमने अक्सर यह भी देखा है की सारे शराबी नशे के बाद बहकते नहीं ...सारे अभद्रता नहीं करते !
जहाँ तक व्यक्तिगत खुशी का सवाल है तो मनुष्य जीना चाहता है और जीने के लिए उसे किसी न किसी चीज़ से आसक्त तो रहना ही पड़ता है ! विरक्ति तो उससे निर्वाण की और ले जायेगी या ये कहो की वह मोक्ष को प्राप्त हो जायेगा और एक गरीब इंसान के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है ! जिस ठण्ड को हम हवाला देकर अपनी राज़ईओ में दुबके रहते हैं उसी ठण्ड में कोई कम वस्त्रों में शारीरिक परिश्रम कर रहा होता है ...
मुझे एक प्रसंग याद आता है ...स्वामी रामकृष्ण परमहंस का ! कहा जाता है की स्वामी जी को विशेष वस्तु से लगाव नहीं था परन्तु स्वादिष्ट भोजनो के प्रति वो बहुत आसक्त रहते थे ! उनके शिष्य इस बात से बहुत आहात थे और प्रायः इस बात का विरोध करते थे ! उनका मानना था की स्वामी जी इस बात से अपनी छवि धूमिल करते हैं ! आखिर हार मानकर उन्होंने इस बात की शिकायत स्वामी जी की पत्नी से की ! उनकी पत्नी के पूछने स्वामी जी ने स्पष्टीकरण दिया ! उनका कह्नना था की जब मैंने सब कुछ त्याग ही दिया है तो मेरे जीवन का क्या महत्व? तब कैसा जीवन? इस जीवन को बचाने के लिए ही मुझे किसी न किसी एक वस्तु यानी भोजन से आसक्त रहना ही पड़ता है ! जिस दिन मै खाने से मुह मोड लूं समझ लेना मेरा वक्त नजदीक आ गया है ! और वास्तव में ऐसा हुआ भी ! उनके भोजन छोड़ने के ३ दिन के उपरान्त ही उनकी म्रत्यु हो गई या ये कहिये की वो निर्वाण को प्राप्त हो गए !
अरविन्द जी यह उदाहरण मात्र यही बताने के लिए है की जीवन के लिए आसक्ति कितनी ज़रुरी है ! और एक गरीब इंसान के लिए छोटी छोटी खुशिया ही आसक्ति का कारन बनती है !
अरविन्द जी यहाँ एक मछली ही नहीं गन्दी है वरन एक ही साफ़ है !अब ऐसे में क्या आप सारी मछलियो को मारने की बात करते हैं? या आप कुछ ऐसा उपाए करना चाहेंगे की मछलियो की नस्ल ही साफ़ हो जाए ! अब चोरिये मछलियो के बारे में ...इन मनुष्यों का क्या? क्या सभी को नष्ट कर देंगे या उनका विचार बदलना चाहेंगे ?
अरविन्द जी इस चक्रवात में कहाँ से शुरुवात की जाए यही समझना है हमें !
और यह शुरुवात किसी एक खराब मछली को निकालने से ही नहीं होगी !
मै इस बात से पूर्णत सहमत हूँ कि शराब पीने के बाद बहुत ही मजा का अहसास होता है, क्या सिर्फ इसीलिए हमे शराब और शराबी की सराहना करनी चाहिए? मित्र, ऐसे और भी बहुत से काम है जिसे बहुत सारे लोग करके आनंद की प्राप्ति करते है, जैसे - हत्या, बलात्कार, लूट, नशापान, इत्यादि, तो क्या आप इसे इसीलिए उचित ठहराने की कोशिश करेंगे, क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसा कर रहे है।

आपने बात उठाई थी, एक गरीब की, जिसके बच्चो के तन पर कपड़े नहीं है और भूखे पेट है, और वो मनोरंजन के लिए शराब पीता है। तो आप खुद ही आपने आप से पूछिए, या सोचिए की अगर आप उस गरीब के जगह रहते, तो बजाय अपने बच्चो को रोटी और कपड़ा देने के आप शराब पीते, क्या आपकी आत्मा नहीं धिक्कारेगी। क्या शराब पीने के पहले आपको अपने बच्चो के भूखे और नंगे चेहरे नहीं नजर आएंगे।

भईया, कम से कम उदाहरण तो सही ढंग का चुनिये। आपने स्वामी रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण लिया है, वो भी शराब और शराबी के पक्ष को सही ठहराने के लिए। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने भूख के संबंध मे ऐसा निर्णय लिया था, न कि शराब के व्यसन के लिए। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कभी शराब या शराबी के लिए कोई आदर्श पेश नहीं किया। भूख, प्यास, और सांस जीवन की परमावश्यकता है, इसके बगैर जिंदा रहना मुश्किल है, जैसा की स्वामी रामकृष्ण परमहंस के साथ हुआ।

एक बात और कहना चाहूँगा, जहा शराब कुछ देर के लिए आनंद के सागर मे डुबो के रखता है, वही इसकी कितनी हानिया है, उसपर भी जरा एक बार नजर दौड़ा लीजिएगा।

दोस्त, जो गलत है, उसके पक्ष मे कितना भी उदाहरण दे दीजिये वो गलत ही रहेगा।

Last edited by arvind; 22-12-2010 at 09:33 AM.
arvind is offline  
Old 22-12-2010, 09:44 AM   #100
arvind
Banned
 
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0
arvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant future
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

Quote:
Originally Posted by prince View Post
अरविन्द जी. आपने कितनी आसानी से छोटू जी को कह दिया कि विवाह की परिभाषा सूत्र के विषय से हट कर हो जायेगी. मैं पूरा थ्रेड रीड किया है और देखा है कि किसी और सदस्य ने आपके लिए कोई व्यक्तिगत नोट भेजा था जिसका इस थ्रेड से कोई वास्ता नहीं था. ये व्यक्तिगत नोट एक निजी सन्देश की तरह भी भेजा जा सकता था. उनको तो कोई जवाब नहीं दिया आपने ??? क्या पता छोटू जी की बात का इस थ्रेड से कोई ताल्लुक हो ?? अगर बुरा लगे तो माफ़ कर दीजिये. जो लगा बता दिया.
उफ्फ, फिर माफी...... मुझे सख्त नफरत है माफी मांगने वालो से...... अपनी बात भी दृढ़ता से नहीं कह पाते।

प्रिंस बाबू, अगर एक सदस्य ने गलती कि है, तो उसका देखादेखी आप भी गलती करेंगे, तो फिर आपमे और उसमे अंतर क्या रह जाएगा? क्या बचकानी बात करते हो यार?

और जहा तक आप जिस व्यक्तिगत नोट कि बात कर रहे है, कृपया उसे फिर से पढ़ ले, उक्त नोट अमित जी ने मुझे और अभिषेक जी को लिखा है और वो भी इस सूत्र के संदर्भ मे ही है।

Quote:
Originally Posted by amit_tiwari View Post
only a short note to mr. Arvind :

now you see what i said earlier! Or should i say anything more?
It was your hope that we should give everyone chance to improve. I think now you know reformation is right or my way re-formation!!!

one line for mr. Abhishek : wait for right time has been really long, its too late now my friend.

Last edited by arvind; 22-12-2010 at 09:49 AM.
arvind is offline  
Closed Thread

Bookmarks

Tags
free, hindi forum, india, websites, youth problems


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 09:28 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.