22-12-2010, 12:01 PM | #101 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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जहां तक मैं समझता हूँ विवाह एक वयस्क विषय है, सिर्फ एक वयस्क विषय और प्रिंस भाई जी ने बिलकुल सही कहा कि अभी तो मेरी बात पूरी भी नहीं हुई और आपने निर्णय दे दिया i मैं कम पढ़ा लिखा जरूर हूँ लेकिन भोंदू नहीं हूँ जो ये भी नहीं जनता कि मुझे किस विषय पर अपने विचार कहाँ रखने चाहिए i हाँ ये जरूर है कि मेरे हिज्जे गलत हो सकते हैं क्योंकि मैं धीरे धीरे इस लिंक से हिंदी लिखना सीख रहा हूँ i क्या कोई बताएगा कि मैं अपने विचार यहाँ लिख सकता हूँ या नहीं ? |
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22-12-2010, 12:27 PM | #102 | ||||
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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भाई रहने दें, आप तार्किक रहते हुए तर्क कर सकते हैं किन्तु कुतर्कों का कुछ नहीं कर सकते | koi faayda भी नहीं है समय व्यर्थ करने का | Quote:
ईसाई विवाह ? वो तो खुद उसे एक आवश्यक बुराई कहते हैं या मुस्लिम विवाह जहां वो एक आर्थिक समझौता है या फिर हिन्दू विवाह जहां वह एक सामाजिक संस्कार है ? एक मिनट हिन्दू विवाह में कौन सा प्रकार | प्राकवैदिक काल में ही आठ प्रकार के विवाह थे | कौन से विवाह की परिभाषा चाहिए ? आजकल हिन्दुओं में होने वाले विवाह में हमारे आठ में से कितने विवाहों की कतरन शामिल है ये बताऊँ ? या विवाह के किस चरण का कौन सा काल कहाँ प्रारंभ हुआ ये बताऊँ ? क्या पाणिग्रहण को पहली बार करने वाले का नाम जानना है या फिर आजकल के विवाहों के प्रमुख तत्व जयमाल का प्रादुर्भाव कहाँ से हुआ यह बताना पड़ेगा | थोडा प्रश्न स्पष्ट करें ताकि मुझ मंदबुद्धि को सटीक उत्तर देने में सुविधा हो | |
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22-12-2010, 12:35 PM | #103 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
I don't understand why this thread is still open even after so much of flaming.
Can't this forum have 1 driving moderator??? |
22-12-2010, 12:44 PM | #104 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
नमस्कार,
सबसे पहले अमित भाई को साधुवाद, जिन्होंने एक ऐसे विषय को चुना जिसमे समाज को जागरूकता की आवश्यकता हैं. केवल पोर्न साईट को इसका जिम्मेदार मानना अनुचित होगा क्योकि इन्टरनेट का प्रादुर्भाव तो अभी कुछ वर्षो पहले ही हुआ हैं और उससे भी कम समय इसके सभी वर्गों तक ये पहुचने में हुआ हैं. कुछ हद तक ही ये साईट जिम्मेदार हैं क्योकि आज का युवा वर्ग पूरी तरह से इस वश में हो गया हैं पर पूर्ण रूप से इन्हें जिम्मेदार नहीं कह सकते. मूल रूप से अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति अज्ञानता और पश्चातीय अविद्या का प्रचार-प्रसार ही इन सब कुकृत्यो का कारण हैं. मेरे विचार में समाज को अपने संस्कारो और धर्म के प्रति जागरूकता पैदा करना ही इसका उपाय हो सकता हैं .
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22-12-2010, 01:20 PM | #105 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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अब क्या कहू........ ???? |
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22-12-2010, 01:38 PM | #106 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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22-12-2010, 02:33 PM | #107 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
फ़राज़ के एक ठो शेर कह दो गुरु :
वफ़ा की आज भी वो ही कद्र है फ़राज़ फकत मिट चुके हैं टूट कर चाहने वाले और दो लाइन मेरी कि चलो कहीं और बनाते हैं मयखाना दिलबर यहाँ ना पीने का शऊर है, ना पिलाने वाले Last edited by amit_tiwari; 22-12-2010 at 02:36 PM. |
22-12-2010, 03:29 PM | #108 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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आवत गारी एक है, उलटत होय अनेक कहैं कबीर न उलटियो, रही एक की एक । पढना गुनना चातुरी, यह तो बात सहल्ल काम दहन मन बस करन , गगन चढन मुसकल्ल । Last edited by arvind; 22-12-2010 at 03:35 PM. |
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22-12-2010, 04:53 PM | #109 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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22-12-2010, 05:09 PM | #110 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
अब ज्ञान की बातें हो रही है.....मैंने पहले ही कहा था की हम दुनिया को नहीं सुधार सखते और ना ही हमें ऐसी कोशिश करनी चाहिए.......आज बहुत सारे लोग ऐसे हैं की उन्हें अपने पडोशी के हल चल खबर नहीं और नेट पर हम प्रवचन कर रहे हैं आत्म शुध्धि और संस्कार पर...........मैं मनाता हूँ की पोर्न से लगत प्रभाव पडता है.लेकिन इससे कोई रेप के लिए प्रेरित होता है इस मुद्दे पर सब की एक राय नहीं है...... और ये बात सही भी नहीं है.............
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